Xylem in Hindi ( जाइलम किसे कहते है ? ) जाइलम का मुख्य कार्य क्या होता है?

इस Article में Xylem के बारे में पूरी तरह से पढ़ेंगे। जिसमे पढ़ेंगे What is Xylem in Hindi (जाइलम क्या है ?), Definition of Xylem in Hindi (जाइलम की परिभाषा), Types of Xylem in Hindi (जाइलम के प्रकार ), जाइलम के कार्य, Difference between xylem and phloem in Hindi (जाइलम और फ्लोएम में अंतर ), आदि।

What is Xylem in Hindi (जाइलम क्या है ?)

जाइलम (xylem) पौधों में पाये जाने वाले दो संवहन ऊतको में से एक है,(दूसरा संवहन ऊतक फ्लोएम है)। जाइलम एक ऐसा जटिल स्थाई ऊतक है जो संवहन बंडल के अन्दर पाया जाता है। जाइलम जल के संवहन में प्रमुख भूमिका अदा करता है। रसारोहण की क्रिया जाइलम के भीतर से होती है। इसका निर्माण चार प्रकार की कोशिकाओं से हुआ है।

1. वाहिनिकाएँ
2. वाहिकाएं
3. जाइलम तन्तु
4. जाइलम मृदूतक

1- वाहिनिकाएँ या ट्रेकिडृस ( TRACHEIDS)

इनकी कोशिका लंबी, जीवद्रवहीन, दोनों शिरो पर नुकीली तथा मृत होती है।

2.वाहिकाएं (VESSELS)

इनकी कोशिका मृत एवं लंबी नली के सामान होती है।

3.जाइलम तंतु ( XYLEM FIBRES)

ये लंबे शंकुरप तथा स्थूलित भीतिवाले मृत कोशिका है। और प्राय: काष्ठीय द्विबीजपत्री पौधो में पाय जाते है।

4.जाइलम मुदुतक(XYLEM PARENCHYMA)

इनकी कोशिकाओं प्राय: पैरेकेमेटस एवं जीवित होती है।

Definition of Xylem Plant in Hindi (जाइलम पौधे की परिभाषा)

एक ऐसे पौधे का ऊतक जो जड़ों से पानी और खनिज लवणों को अन्य सभी भागों तक लेके जाता है, और उन्हें यांत्रिक सहायता (mechanical support) प्रदान करता है, और पेड़ों और झाड़ियों में लकड़ी को निर्मित करता है। यह दो प्रकार का होता है (प्रोटोक्साइलम और मेटैक्साइलम), दोनों ही मुख्य रूप से वाहिकाओं और ट्रेकिड्स से बने होते हैं।

जाइलम ऊतक की कोशिकाएं पैरेन्काइमा कोशिकाओं को छोड़कर मृत कोशिकाएं (Dead cells) होती हैं, और फ्लोएम ऊतक की कोशिकाएं बास्ट फाइबर को छोड़कर जीवित कोशिकाएं होती हैं।

Types of Xylem in Hindi (जाइलम के प्रकार)

1- प्रोटोक्साइलम (Protoxylem)

2- मेटैक्साइलम (Metaxylem)

प्रोटोक्साइलम (Protoxylem) –

जाइलम का पहला एक गठित हिस्सा होता है और इसमें रिंग या हेलिकॉप्टर के रूप में संकीर्ण वाहिकाओं (narrow vessels) और कोशिका भित्ति (cell wall) मौजूद होती हैं।

मेटैक्साइलम ( Metaxylem) –

मेटाएक्सिलेम जाइलम का बाद में बनने वाला हिस्सा होता है। इसमें में छेद या गड्ढे के अलावा सीढ़ी या अनुप्रस्थ पट्टियों (transverse straps) के रूप में बड़ी वाहिकाओं (large vessels) और कोशिका भित्ति मौजूद होती है।

जाइलम के कार्य

जाइलम ऊतक का कार्य निम्नलिखित है। जाइलम ऊतक पौधे के मूल तना एवं पत्तिया में पाया है। इसे चालक ऊतक भी कहते है।

कार्य – ये पौधों को यांत्रिक सहायता देती है। एवं जल के तने द्वारा से पत्ती तक पहुँचती है।

Difference between xylem and phloem in Hindi

  1. जाइलम के ऊतक (Tissue) ट्यूबलर के आकार की संरचना के होते हैं, जिसमें क्रॉस दीवारों (Cross walls) की अनुपस्थिति होती है। यह ऊतक एक तारे के आकार जैसा दिखता है। वहीं फ्लोएम ऊतक ट्यूबलर के आकार के, लम्बें होते हैं, पतली छलनी नलिकाओं (Thin Sieve Tubes) के साथ दीवारों (Walls) की उपस्थिति के साथ संरचनाएं वाले।
  2. जाइलम एक संवहनी ऊतक (vascular tissue) है, जो पानी और विघटित खनिजों (dissolved minerals) को जड़ से अवशोषित कर शेष पौधे तक पहुँचाता है, और फ्लोएम (phloem) एक संवहनी ऊतक है जो पौधे के हरे भागों से पौधे के बाकी हिस्सों में प्रकाश संश्लेषण के दौरान तैयार घुलनशील कार्बनिक यौगिकों को स्थानांतरित करता है।
  3. जाइलम मुख्य रूप से संवहनी बंडलों (Vascular Bundles) के केंद्र में स्थित होते हैं, और फ्लोएम मुख्य रूप से संवहनी बंडलों की परिधि (Periphery) की ओर स्थानीयकृत होते हैं।
  4. जाइलेम के फाइबर छोटे होते हैं, और फ्लोएम के फाइबर बड़े होते हैं।
  5. जाइलेम जड़ों, स्टेम और पत्तियों में मौजूद होते हैं, और फ्लोएम, स्टेम और पत्तियों में मौजूद होते हैं, जो बाद में जड़ों, फलों और बीजों में स्थानांतरित और विकसित होते हैं।
  6. जाइलम का मूवमेंट एक ही दिशा में होता है यानी यूनीडायरेक्शनल (Unidirectional) ऊपर की ओर वहीं फ्लोएम का द्विदिश यानी दोनों दिशा में (Bidirectional) मूवमेंट होता है (Up and Down)।
  7. जाइलम में ट्रेकिड्स (Tracheids), Vessel Elements, जाइलम पैरेन्काइमा, और जाइलम फाइबर शामिल हैं. वहीं फ्लोएम में शामिल हैं: साथी कोशिकाएं (Companion Cells), छलनी नलिकाएं (Sieve Tubes), बास्ट फाइबर (Bast Fibres), फ्लोएम फाइबर, और फ्लोएम पैरेन्काइमा।
  8. जाइलम ऊतक की कोशिकाएं पैरेन्काइमा कोशिकाओं को छोड़कर मृत कोशिकाएं (Dead cells) होती हैं और फ्लोएम ऊतक की कोशिकाएं बास्ट फाइबर को छोड़कर जीवित कोशिकाएं होती हैं.
  9. जाइलम में कोशिकाओं की कोशिका भित्ति (Cell wall) मोटी होती है और फ्लोएम की कोशिकाओं की कोशिका भित्ति पतली होती है। लिग्नीफाइबड (Lignified) कोशिका भित्ति (Cell wall) जाइलम में मौजूद होती हैं और फ्लोएम में कोशिका भित्ति (Cell wall) लिग्नीफाइबड (Lignified) नहीं होती है।
  10. संवहनी बंडलों (Vascular Bundles) में जाइलम ऊतक की मात्रा फ्लोएम ऊतक से अधिक होती है यानी संवहनी ऊतक में फ्लोएम ऊतक की मात्रा तुलनात्मक रूप से कम होती है।
  11. जाइलम ऊतक के दो प्रकार के तत्वों अर्थात जाइलम वाहिकाओं (Xylem Vessels) और वाहिनिकाओं (Tracheid) से होकर ही जल एवं खनिजों को पौधों की जड़ों से उसकी पत्तियों तक पहुंचाया जाता है और फ्लोएम की जीवित कोशिकाएं‘चालनी नलिकाएँ’ (Sieve Tubes) कहलाती हैं. फ्लोएम में कोशिकाओं की अंतिम भित्ति पर चालनी पट्टियाँ (sieve plates) पायी जाती हैं, जिनमें छोटे–छोटे छिद्र बने होते हैं।
  12. जाइलेम घुलनशील खनिज पोषक तत्वों और पानी के अणुओं (water molecules) को जड़ों से पौधे के अन्य हिस्सों तक पहुंचाता है और फ्लोएम भोजन और अन्य पोषक तत्वों सहित चीनी और अमीनो एसिड पत्तियों से भंडारण अंगों और पौधे के बढ़ते भागों तक पहुंचाता है।
  13. जाइलेम, पौधे को यांत्रिक शक्ति (Mechanical Strength) प्रदान करता है और स्टेम को मजबूत रहने में मदद करता है वहीं जड़ों, बल्ब (Bulbs) और Tubers जैसे अंगों के भंडारण के लिए पौधों के प्रकाश संश्लेषक क्षेत्रों द्वारा संश्लेषित शर्करा (synthetic sugars) का परिसंचरण करता है।