Types of Xylem in Hindi (जाइलम के प्रकार)

इस Article में हम Types of Xylem in Hindi (जाइलम के प्रकार ) के बारे में पढ़ेंगे। जिसमे Xylem के सभी प्रकार को अच्छे से समझेंगे।

पिछले Article में हमने Xylem in Hindi ( जाइलम किसे कहते है ? ) के बारे में पढ़ा था। जिसमे Xylem को पूरी तरह से जाना था। अगर आपने उसे नहीं पढ़ा तो पढ़ ले। तब ये और अच्छे से समझ आएगा।

Types of Xylem in Hindi (जाइलम के प्रकार )

जाइलम मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है।

  1. Primary Xylem
  2. Secondary Xylem

Primary Xylem

जैसे – जैसे पौधा बढ़ता जाता है। उसमे तनो और जड़ो में प्राथमिक जाइलम (Primary Xylem) एक या एक से अधिक रूप में बनने लगता है।  Primary Xylem (प्राथमिक जाइलम) दो तरह से बनते है। इसमें पहले बने Xylem को Protoxylem (प्रोटोजाइलम) और बाद में बने जाइलम को  Metaxylem (मेटाजाइलम)  कहा जाता है।

प्रोटोक्साइलम (Protoxylem)

ये जाइलम का पहला एक गठित हिस्सा होता है और इसमें रिंग या हेलिकॉप्टर के रूप में संकीर्ण वाहिकाओं (narrow vessels) और कोशिका भित्ति (cell wall) मौजूद होती हैं।

Metaxylem (मेटाजाइलम)

Metaxylem जाइलम में सबसे बाद में बनता है। इसमें छेद या गड्ढे होते है। इसके अतिरिक्त सीढ़ी या अनुप्रस्थ पट्टियों (transverse straps) के रूप में बड़ी वाहिकाओं (large vessels) और कोशिका भित्ति मौजूद होती है।

Pattern of Protoxylem and Metaxylem in Hindi

उपजी और जड़ो में Protoxylem और Metaxylem की व्यवस्था के लिए मुख्य रूप से चार pattern दिए गए है।

  1. Centrarch
  2. Exarch
  3. Endarch
  4. Mesarch

Centrarch

Centrarch का उपयोग तब किया जाता है। जब Primary Xylem तने के केंद्र में Single Cylinder बनता है।और केंद्र के बाहर की ओर विकसित होता है। इस तरह से Protoxylem कोर में होता है तथा Metaxylem इसके चारो ओर एक Cylinder में पाया जाता है।

Exarch

इसका उपयोग तब किया जाता है जब तने या जड़ में Primary Xylem के एक से अधिक Stand होते है। इस तरह से इसमें Metaxylem तने या जड़ के केंद्र के सबसे करीब होता है तथा Protoxylem परिधि के सबसे करीब होता है।

Endarch

Exarch की तरह इसका उपयोग भी तब किया जाता है। जब तने या जड़ में Primary Xylem के एक से अधिक Stand होते है। और Xylem अंदर से बाहर परिधि की ओर विकसित होता है। इस प्रकार इसमें Protoxylem तने या जड़ के केंद्र के सबसे निकट होता है और Metaxylem परिधि के सबसे निकट होता है।

Mesarch

Mesarch इस Pattern का उपयोग ऐसी स्थिती में किया जाता है। जब किसी तने या जड़ में Primary Xylem के एक से अधिक तंतु होते है। और Xylem का विकसित होना एक stand के बीच से दोनों दिशाओ में होता है। इस तरह से इसमें Metaxylem स्ट्रैंड के परिधीय और केंद्रीय दोनों पक्षों पर Metaxylem के बीच Protoxylem के साथ होता है।

Secondary Xylem

Secondary Xylem (द्वितीयक जाइलम) पौधे की द्वितीयक वृद्धि के साथ बनते है। इस प्रकार के जाइलम vascular cambium (संवहनी केंबियम ) की क्रिया के द्वारा उत्पन्न होते है। ये पौधे की परिधि की वृद्धि को बढ़ाते है। उदाहरण – जिस पेड़ के तने चौड़े होते है। वो पेड़ अधिक द्वितीयक वृद्धि को दर्शाते है। बसंत एवं शरद ऋतू के समय बनने वाले दो तरह के द्वितीयक जाइलम एक वार्षिक वाले का निर्माण करते है।

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