Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान या सूक्ष्मजीव)

इस Article में हम Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान या सूक्ष्मजीव) के बारे में पढ़ेंगे। जिसमे पढ़ेंगे What is Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान क्या है ?), Definition of Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान की परिभाषा), Father of Microbiology in Hindi (कीटाणु -विज्ञान के जनक ) आदि।

What is Microbiology in Hindi कीटाणु-विज्ञान क्या है ?

कीटाणु विज्ञान एक तरह से सूक्ष्मजीवों से जुड़ा एक वैज्ञानिक अध्ययन है ,जिसमे कई तरह के सूक्ष्म जीव होते है – एककोशिकीय, बहुकोशिकीय, या अकोशिकीय के रूप में विधमान होते है । इन सूक्ष्म जीवों के स्वरुप के अध्ययन को करना ही कीटाणु विज्ञान कहलाता है। ये सूक्ष्मजीव बहुत ही छोटे होते है कि इन्हे देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है।

कीटाणु-विज्ञान का सही मायने में अध्यन कई तरह की बीमारियों के लिए बनने वाले टीके और बीमारी के उपचार के लिए कई जरुरी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने से है। जीव विज्ञानी सूक्ष्म जीव विज्ञान का उपयोग नए तरीकों को विकसित करने के लिए करते है, जिनसे बीमारी से निपटने के लिए प्रयोग किया जाता है। कंपनियां माइक्रोबायोलॉजिस्ट को नियुक्त करके नए उत्पाद विकसित करते है, जो वायरस और बैक्टीरिया को मारते हैं।

Definition of Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान की परिभाषा)

Microbiology में सूक्ष्म जीव का अध्ययन किया जाता है। इसमें उन जीवो का अध्ययन किया जाता है। जो की नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते है। जैसे – बैक्टीरिया, कवक, शैवाल, आर्किया, प्रियन, प्रोटोजोआ आदि।

Father of Microbiology in Hindi (कीटाणु -विज्ञान के जनक )

एंटोनी वैन लीउवेनहोक को सूक्ष्म जीव विज्ञान के पिता के रूप में माना जाता है , उन्होंने 1670 के दशक में इन सभी तरह के सूक्ष्म जीवों को एक सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करके देखा था।

History of Microbiology in Hindi (कीटाणु -विज्ञान का इतिहास )

ऐसा माना जाता है की 18वी शताब्दी तक मनुष्य को रोगो के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उनका यह मानना था कि प्राणी को रोग गलत कर्म करने व उनके पापो से होता है। लेकिन 19वी शताब्दी के प्रारम्भ तक छोटे जीवो का मानव जीवन पर प्रभाव होने का ज्ञान होना शुरू हुआ।

1. सर्वप्रथम Microbiology का शब्द एक फ़्रांसिसी रसायनज्ञ लुई पाश्चर द्वारा दिया गया था। उन्होंने Gem theory प्रस्तुत कि सर्वप्रथम उन्होंने (1822 -1965 ) Bacteria को Gem नाम दिया था। इसके बाद इन्होने Pastanisation Technique की खोज की।

2. Lord Joseph Lister जिन्हे Antiseptic Surgery का जनक कहा जाता है। इन्होने 1870 ई० में Culture Technique को विकसित किया। Bacteria का सर्वप्रथम Culture किया था।

3. Robert Koch ने Bacteria का शुद्ध Culture प्राप्त किया। इन्होने Anthrax, T 13, Choleru के जीवाणु की खोज की।

4. एंटोनी वैन लीउवेनहोक इन्हे सूक्ष्मजीव विज्ञान का जनक कहा जाता है। इन्होने Microscope का अविष्कार किया था।

Classification of Microbiology in Hindi (कीटाणु-विज्ञान के वर्ग)

कीटाणु-विज्ञान या सूक्ष्मजीव को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है।

  1. Bacteriology
  2. Protozuology
  3. Mycology
  4. Phycology
  5. Medicine Microbiology
  6. Agriculture Microbiology
  7. Dairy Microbiology
  8. Plant Pathological Microbiology
  9. Industrial Microbiology

Autotrophic Bacteria in Hindi

ये Bacteria अपना भोजन प्रकाश ऊर्जा या रासायनिक ऊर्जा का प्रयोग करके खुद बनाते है। ये Bacteria पौधो के सामान स्वपोषी होते है। क्युकी ये अकार्बनिक पदार्थ से अपना भोजन स्वयं बना लेते है।

Types of Autotrophic Bacteria in Hindi

ये Bacteria मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है।

  1. Photo autotrophic
  2. Chemoautotrophy

Photo Autotrophic

ये Bacteria भोजन बनाने के लिए प्रकाश-ऊर्जा का उपयोग करते है। ये प्रकाश संश्लेषणी व स्वपोषी होते है। अर्थात इनमे प्रकाश संश्लेषण वर्णक पाए जाते है। ये Bacteria सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में CO2 कार्बन को कॉर्बोहाइड्रेट में बदल देते है। ये दो प्रकार के होते है।

  1. Photo – Lithotrops
  2. Photo – Organotrops
Photo – Lithotrops

इसमें H दाता कोई Inorganic Sulphur होता है।

Photo – Organotrops

इसमें H दाता कोई Organic पदार्थ होता है।

Chemoautotrophy

Chemoautotrophy Bacteria भोजन बनाने के लिए रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करते है। ये अप्रकाश संश्लेषणी स्वपोषी होते है। अर्थात इनमे प्रकाश संश्लेषण वर्णक Absent होता है। Chemoautotrophy Bacteria Inorganic पदार्थ का अभिसरण करते है। उनसे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग भोजन निर्माण में करते है। ये निम्न प्रकार के होते है।

  1. Iron Bacteria
  2. Sulphur Bacteria
  3. Nitrifying Bacteria
  4. Hydrogen Bacteria
  5. Methene Bacteria
Iron Bacteria

ये फेरस Compound को फेरिक योगिक में Change कर ऊर्जा प्राप्त करते है।

Sulphur Bacteria

ये Bacteria अकार्बनिक सल्फर यौगिकों का उपयोग करके ऊर्जा प्राप्त करते है।

Nitrifying Bacteria

इस प्रकार के Bacteria अकार्बनिक नाइट्रोजन यौगिकों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करते है।

Hydrogen Bacteria

ये H2 को जल में परिवर्तित करके ऊर्जा प्राप्त करते है।

Methane Bacteria

Methane Bacteria ऑक्सीकरण करते है, और उससे प्राप्त ऊर्जा को उपयोग कर भोजन बनाते है।