Plant Taxonomy in Hindi ( पादप वर्गीकरण क्या है? )

आज इस लेख में हम Plant Taxonomy in Hindi ( पादप वर्गीकरण क्या है? ) के बारे में जानेंगे। Friends क्या आप जानते हैं कि हमारे पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पौधों की 4 लाख प्रजातियाँ पाई जाती है? किसी भी व्यक्ति के लिए इन सबको देख पाना और जानना possible नहीं है।
इसलिए पादप जगत की पूरी knowledge के लिए यह जरूरी है कि इन सभी पौधों को इनके किसी भी प्रमुख symptoms , गुणों के आधार पर इनका classification किया जाए।

Plant Taxonomy in Hindi ( पादप वर्गीकरण क्या है? )

पृथ्वी पर मिलने वाले पौधों की पहचान तथा समानताओं व असमानताओं के आधार पर उनका division किया जाता है। इसी को पादप वर्गिकी (plant taxonomy) कहते हैं।

Systems of Plant Taxonomy in Hindi

विभिन्न पौधों के classifications को mainly तीन श्रेणियों में divide किया गया है –

  • कृत्रिम पद्धतियां (Artificial Systems)
  • प्राकृतिक पद्धतियां (Natural Systems)
  • जातिवृत्तीय पद्धतियां (Phylogenetic Systems)

1. कृत्रिम पद्धतियां (Artificial Systems in Hindi)

इस पद्धति में पौधों को एक या एक से अधिक लक्षणों के आधार पर group तथा Sub-groups में divide किये जाते हैं।

2.प्राकृतिक पद्धतियां (Natural Systems in Hindi)

सर्वप्रथम ए डब्ल्यू आइकलर (A W Eichler) ने 1883 में प्राकृतिक पद्धति का वर्गीकरण किया था। इस पद्धति में पौधों के सभी महत्वपूर्ण लक्षणों को आधार बना कर पौधों का वर्गीकरण किया गया है। इसमें पौधों की संरचना तथा reproduction में समानता के आधार पर group और sub- group बनाए जाते है।

3. जातिवृत्तीय पद्धतियां (Phylogenetic Systems in Hindi)-

इसमें पौधे के evolution , hereditary characters के संबंधों एवं reproductive characters के आधार पर group या sub- group बनाए जाते हैं।

पादप जगत का classification करने का तरीका

पादप जगत में वर्गीकरण विशेष tissues की उपस्थिति,पादप शरीर के अंतर,बीज धारण करने की क्षमता और फलों के अंदर पाये जाने वाले बीजों पर depend करता है।

पादप जगत का classification

1.थैलोफाइटाः

पादप वर्गिकी के इस श्रेणी में शैवाल( algae), कवक(fungi) और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवाणुओं (micro-organisms)के प्रकार को रखा जाता है।
शैवाल लाल, भूरा और हरा तीन तरह का होता है।

शैवाल

  • शैवाल एककोशिकीय (unicellular)होते हैं।
  • इसकी कोशिका भित्ति(cell wall) cellulose की बनी होती है।
  • खाद्य सामग्रियों, कृषि, व्यापार एवं व्यवसाय, जैविक अनुसंधान, घरेलू पशुओं के चारे और दवाओं के निर्माण में शैवाल बहुत उपयोगी होता है।
  • कई शैवाल प्रदूषक का काम भी करते हैं और ये पेयजल को दूषित कर देते हैं।
  • चाय के पौधों में Cephaleuros शैवाल के कारण ‘रेड रस्ट’ नामक रोग हो जाता है |

कवक

इनके अध्ययन को mycology कहते हैं।
कवक थैलस युक्त पादप होते हैं।
इसमें chlorophyll नहीं होता है।

2.ब्रायोफाइट

  • ऐसे पौधे जमीन और जल दोनों में पाए जाते हैं।
  • इनमें chloroplast पाये जाने के कारण ये पौधे autotrophic होते हैं।
  • मिट्टी के कटाव को रोकने और बाढ़ को रोकने के उपाय के तौर पर इनका प्रयोग किया जा सकता है।
  • मॉस पौधे का प्रयोग पीट ऊर्जा नाम के ईंधन और antiseptic के तौर पर भी किया जाता है।

3.ट्रैकियोफाइट :

इन पौधो में संवहनी ऊतकों (vascular tissues) का अच्छा विकास होता है और वे जाइलम (xylem)और फ्लोएम (phloem) में divided होते है। ट्रैकियोफाइटा निम्नलिखित तीन subgroups में divide किए जाते हैं– टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजीयोस्पर्म।

👉टेरिडोफाइटाः  इन पौधों में बीज और फूल नहीं पाये जाते हैं। जैसेः क्लब मॉस, हॉर्सटेल्स, फर्न आदि। विकसित टेरिडोफाइटा समूह के पादपों में जड़, तना एवं पत्तियों में स्पष्ट अन्तर होता है।

👉जिम्नोस्पर्मः ऐसे पौधे जिनके बीज पूरी तरह से अनावृत्त (Uncoated ) होते हों और उनमें अंडाशय (Ovary) ना हो, वे जिम्नोस्पर्म कहलाते हैं।

  • जिम्नोस्पर्म का मुख्य गुण है बीज का बनना जिसको “जीवाश्म वर्ग” भी कहते हैं। इस तरह के पौधों का जीवश्मीय महत्व अधिक होता है। जैसेः साइकस, पाइन्स, आदि|
  • इन प्रजाति में एक से अधिक भ्रूण (Polyembryo) का गुण होता है।
  • इन पौधों को खाने, लकड़ी और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

👉एंजियोस्पर्मः

  • यह पादपों का सबसे developed और महत्वपूर्ण group है। आम, कटहल आदि इसी group के उदाहरण हैं।
  • हमारे प्रमुख खाद्य पदार्थों में फाइबर, मसाले और पेय, फसलें, फूल वाले पौधे (एंजियोस्पर्म) होते हैं।
  • इनका प्रयोग चिकित्सीय पौधों, लेटेक्स उत्पाद जैसे रबर आदि के रूप में भी किया जाता है।
  • इन पौधों के तेलों का इस्तेमाल इत्र, साबुन और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी होता है।

Read More – Plant anatomy in Hindi ( पौधे की शारीरिक रचना )