इस Article में Halophytes Plants in Hindi (लवणोंद्विद पौधे) के बारे में जानेगे। जिसमे जानेगे What is Halophytes Plants in Hindi ( लवणोंद्विद पौधे क्या है ?), Classification of Halophytes Plants in Hindi (लवणोंद्विद पौधो का वर्गीकरण ) आदि।
What is Halophytes Plants in Hindi (लवणोंद्विद पौधे)
नमक यानी लवण में किसी भी वनस्पति का विकसित होना लगभग नामुमकिन ही होता है| या यूं कह दिया जाए कि उपजाऊ जमीन पर भी यदि लवण युक्त मिट्टी या नमक का छिड़काव कर दिया जाए तो वह भी बंजर हो जाएगी| लेकिन प्रकृति ने कुछ ऐसे पौधे भी बनाए हैं, जो इस तरह की खारी मिट्टी में भी विकसित हो जाते हैं| इस तरह के पेड़ पौधे Halophytes plants या लवणोद्विद पौधे कहलाते हैं| अन्य पौधों से विपरीत इन पौधों में खारेपन में पनपने और खारे पन की गैर उपजाऊ क्षमता को भी सहन करने की शक्ति होती है| इस तरह की वनस्पति लवणकच्छ, लवण मरुस्थल अथवा सागर तटीय लोनी मिट्टी में भी खुद को जिन्दा रख सकती हैं | यह पादप लवण-संसेचित-मृदा (salt impregnated soil) में खुद को ढाल कर विकसित होते है|
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इस तरह की वनस्पति में प्राकृतिक रूप से नमक सहिष्णु मौजूद रहती है | इसकी इस संयंत्र क्षमता के कारण यह खारे पानी में, लवणता वाली मिटटी में, रेगिस्तान में, दलदलों और कीचड़ जेसी विषम परिस्थितियों में भी पनप जाते है| हेलोफाइट का एक उदाहरण नमक दलदली घास स्पार्टिना अल्टरनिफ्लोरा (चिकनी कॉर्डग्रास ) हैं | दुनियाभर के पेड़ पौधो में इस तरह के पौधो का प्रतिशत मात्र 2% है | अधिकांश पौधों की प्रजातियां ग्लाइकोफाइट होती है जो नमक सहन नही कर सकती |
Classification of Halophytes Plants in Hindi
Halophytes plants या लवणोद्विद पौधे मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।
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- एक्वा-हैलिन्स
- टेरेस्ट्रो-हैलिन्स
- एयरो-हैलिन्स
एक्वा-हैलिन्स
उभरे हुए हेलोफाइट्स का तना जल स्तर से ऊपर होना इनकी पहचान है | हाइड्रो-हैलोफाइट्स का पूरा पौधा पानी के नीचे विकसित होता है |
टेरेस्ट्रो-हैलिन्स
इस तरह के पौधे Hygro-halophytes दलदल वाली भूमि में उगते है | इसी केटेगरी के मेसोहालोफाइट्स गैर-दलदल, गैर-शुष्क भूमि पर भी पनपते हैं| ज़ीरो-हैलोफाइट्स (सूखी या अधिकतर शुष्क भूमि पर उगते हैं)
एयरो-हैलिन्स
इन पौधों को मिट्टी की लवणता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है| जो चट्टानों पर उगते है |
नमक सहिष्णुता
नमक सहिष्णुता ( हेलोटोलरेंस ) मतलब सिंचाई के पानी में नमक की मात्र और पौधे की सहनशीलता | समुद्री जल में आमतौर पर 40 ग्राम प्रति लीटर (g/l) घुलित लवण या सोडियम क्लोराइड ) होता है। उदाहरण के तौर पर बीन्स और चावल में लगभग 1-3 ग्राम/लीटर नमक सहन करने की शक्ति होती है और यह ग्लाइकोफाइट्स केटेगरी में आते है| अधिकाश पौधे इसी केटेगरी के होते है| इसी तरह सैलिकोर्निया बिगेलोवी 70 ग्राम/लीटर लवण में भी अच्छी तरह से पनपता है| खजूर जैसे पौधे लगभग ५ ग्राम/लीटर की सहन शीलता के साथ सीमांत हेलोफाइट्स केटेगरी में आते है|
ऐसा पाया गया है कि, अल्पकालिक पौधों की प्रजाति जो एक निश्चित समय में अपना जीवन काल पूरा करते है नमक की कम मात्रा सह सकते है | जैसे अधिकांश फसलें जो सीजन के हिसाब से आती है या वे जंगली पेड़ पौधे जो एक सीजन के हिसाब से फलते फूलते है| कई पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से नमक संचय कर अतिरिक्त नमक निकल कर अपने अन्दर नमक का बेलेंस बनाये रखते है|
पौधे इस प्रकार है
एनेमोप्सिस कैलिफ़ोर्निया
एट्रिप्लेक्स (नमक की झाड़ी)
अटालिया स्पेशोसा
पैनिकम विरगेटम ( स्विचग्रास )
स्पार्टिना अल्टरनिफ्लोरा (चिकनी कॉर्डग्रास )
टेट्रागोनिया टेट्रागोनोइड्स (वार्रिगल ग्रीन्स, कोकिही , समुद्री पालक)
सेसुवियम पोर्टुलाकैस्ट्रम (समुद्री पर्सलेन , तटरेखा पर्सलेन )